नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF – इस आसान विधि से करें नवरात्रि में पूजा-पाठ

Navratri Puja Vidhi PDF Download in Hindi: हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्रि प्रति वर्ष दो बार मनाई जाती है। इनमें से पहली नवरात्रि चैत्र माह में मनाई जाती है। इस नवरात्रि के साथ ही भारतीय नववर्ष की शुरुआत भी हो जाती है। इस नवरात्रि का समापन रामनवमी के पर्व के साथ होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च से हो रहा है जबकि इसका समापन 30 मार्च को होगा। हिन्दू शास्त्रों की मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की पूजा को विधिवत नियमों के अनुरूप करना चाहिए। किसी प्रकार की कोई न हो, इस बात का विशेषरूप से ध्यान रखा जाना चाहिए। नवरात्रि में पूजा-पाठ करने के लिए आपको “नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF” का ज्ञात होना आवश्यक है।

नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF Download

अगर आप भी चैत्र नवरात्री का व्रत या उपवास रखते है और नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF डायरेक्ट डाउनलोड लिंक खोज रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह आये है। यहाँ हम आपको नवरात्रि में पूजा-पाठ करने की सम्पूर्ण विधि बता रहे हैं। साथ ही आपको Navratri Puja Vidhi PDF in Hindi में भी प्रदान कर रहें हैं। जिसकी मदद से आप आसानी से चैत्र नवरात्री में माता दुर्गा के साथ-साथ अन्य सभी नौ देवियों की पूजा अर्चना कर सकते हैं।

Navratri Puja Vidhi PDF Download in Hindi

देवी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा कभी भी की जा सकती है, इसलिए शास्त्राज्ञा में चंडी हवन के लिए किसी भी विशेष मुहूर्त की अनिवार्यता नहीं होती है। परंतु नवरात्रि में इस आराधना का विशेष महत्व है। क्योंकि माना यही जाता है कि इस समय की पूजा और तपस्या का फल न सिर्फ शीघ्र मिलता है, बल्कि कई गुना अधिक भी प्राप्त होता है। इसी कारण से नवरात्रि के इस समय को कामदूधा काल भी कहते हैं।

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नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि PDF – पूजा की आसान विधि

  1. माना यही जाता है कि देवी को प्रसन्न करने हेतु पंचांग साधन का प्रयोग करना उचित रहता है। पंचांग साधन में पटल, पद्धति, कवच, सहस्त्रनाम और स्रोत आते हैं। यहाँ पटल का आशय शरीर से, पद्धति का अर्थ शीश, कवच से आशय नयनों से, सहस्त्रनाम का आशय मुख से एवं स्रोत का अर्थ जीभ है।
  2. सहस्त्रनाम में देवी के हजारों नामों की सूची है। उनके ये नाम उनके गुणों तथा उनके कार्यो के अनुसार दिए गए हैं। इसलिए सहस्त्रनाम को जपने का फल भी अच्छा मिलता है।
  3. इस विधि से हवन करने का भी विधान है। इसके अंतर्गत नाम के पश्चात नमः लगाकर स्वाहा लगाया जाता है।
  4. सर्व कल्याण व कामना पूर्ति हेतु इन नामों का जपना कल्याणकारी होता है। इसे सहस्त्रार्चन के नाम से जाना जाता है। सहस्त्रार्चन के लिए देवी की सहस्त्र नामावली पुस्तक की आवश्यकता पड़ती है।
  5. इस नामावली के प्रत्येक नाम का उच्चारण करके देवी की मूर्ति पर अथवा उनके चित्र पर, या उनके यंत्र पर और यदि इनमें से कुछ भी उपलब्ध नहीं है तो फिर देवी का किसी सुपारी पर आह्वान करके प्रत्येक नाम के उच्चारण के पश्चात नमः बोलकर देवी की प्रिय वस्तु उन्हें भेंट करनी चाहिए।
  6. जिस वस्तु से आप अर्चन कर रहे हों, वह शुद्ध, पवित्र, दोष रहित होनी  चाहिए।

नवरात्रि पूजा में हल्दी, केसर अथवा कुमकुम से रंगे हुए अक्षत, इलायची, लौंग, यदि सम्भव हो तो कुछ सूखे मेवे, फूल एवं फूल की पंखुड़ी, चारौली, सिक्के आदि का प्रयोग करना चाहिए। यदि पूजा में एक से अधिक व्यक्ति सम्मलित हों तो नाम का उच्चारण एक व्यक्ति को तथा अन्य व्यक्तियों को नमः का उच्चारण करना चाहिए। अर्चन की सामग्री प्रत्येक नाम के पश्चात देवी को अर्पित करनी चाहिए। पूजा प्रारंभ करने से पूर्व पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाना चाहिए।

Navratri Puja Vidhi – इस आसान विधि से करें नवरात्रि में पूजा-पाठ

ये भी ध्यान रखें कि दीपक इस तरह प्रज्ज्वलित हो कि पूजा की सम्पूर्ण प्रक्रिया होने तक वो  प्रज्वलित रहे। नवरात्रि पूजन के समय आपको स्नान कर धुले कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। इस साधना के समय आपको आसन धारण करना चाहिए तथा साधना पूर्ण होने के पूर्व उसका त्याग किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। इस पूजा के पश्चात प्रयुक्त सामग्री किसी ब्राह्मण को अथवा किसी मंदिर में देना चाहिए।

इस साधना में नमः के पश्चात बहुत थोड़ा कुमकुम देवी पर अनामिका-मध्यमा व अंगूठे का उपयोग करके चुटकी से चढ़ाना चाहिए। बाद में उस कुमकुम से स्वयं को एवं पूजा में उपस्थित अन्य लोगों को तिलक लगाना चाहिए। इस पूजा विधि का प्रयोग नवरात्रि में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए। इस साधना को बहुत प्रभावशाली, सात्विक व सिद्धिदायक बनाने हेतु इसे पूर्ण श्रद्धा व विश्वास से करना चाहिए।

आपके पूजन में कोई अवरोध न आए, इसके लिए सभी तैयारियां पूरी करके रख लें। इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन बेहद शुभ संयोग में हो रहा है। इसलिए मां दुर्गा की पूजा अर्चना में कोई कमी न रहे जाए, पूजन में कोई अवरोध न हो इस चीज का पूरा ध्यान रखें। इसके लिए पूजा के लिए आवश्यक सभी वस्तुओं की लिस्ट बना कर, उन्हें एकत्रित कर लें, जिससे आपको पूजा के समय कोई परेशानी न हो, और पूजा बिना किसी व्यवधान के सम्पन्न हो सके।

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